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चैत्र नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित, जानिए मां का स्वरूप, पूजाविधि, महत्व और मंत्र

BBTV: चैत्र नवरात्रि के पावन दिन चल रहे हैं ।नवरात्रि के छठे दिन माता के अलौकिक स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है आदि शक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों में छठा रूप कात्यायनी देवी का है। मां को महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है। मां के इस स्वरूप की पूजा करने से विवाह में आ रही परेशानी दूर हो जाती हैं।

 यजुर्वेद में प्रथम बार ‘कात्यायनी’ नाम का उल्लेख

धार्मिक मान्यताएं हैं कि मां कात्यायनी की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुख मिलते हैं। इसके साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं ।धन संबंधी परेशानी भी दूर हो जाती है बता दें कि यजुर्वेद में प्रथम बार ‘कात्यायनी’ नाम का उल्लेख मिलता है ।माना जाता है कि देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए आदि शक्ति देवी के रूप में महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट हुई थीं।

कात्यायनी मां शेर पर सवार चार भुजाएं वाली

कात्यायनी मां का शरीर सोने की तरह चमकीला है. कात्यायनी मां शेर पर सवार चार भुजाएं वाली हैं, इनके बायें हाथ में कमल, तलवार व दाहिनें हाथों में स्वास्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा लिए हुए हैं। माता कात्यायनी की चार भुजाएं अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित हैं. माता कात्यायनी की पूजा में पीले रंग के वस्त्र पहनने की मान्यता है।

मंत्र का 108 बार जाप करें

मां कात्यायनी की पूजा करने से रोग-शोक, कष्ट और भय दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही इनकी पूजा से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। जिन लोगों की शादी में देर हो रही है, उन्हें शीघ्र विवाह या प्रेम संबंधी मामलों के लिए चैत्र नवरात्रि के छठे दिन शाम को मां कात्यायनी को हल्दी की तीन गांठ चढ़ाएं। सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए पीले फूल चढ़ाते हुए ‘ॐ कात्यायनी महामये महायोगिन्यधीश्वरी। नंद गोप सुतं देहि पतिं में कुरुते नम:।।’ मंत्र का 108 बार जाप करें. ऐसा करने पर विवाह के योग बनेगा ।

 

देवी कात्यायनी का ध्यान करते हुए ये मंत्र भक्तों को पढ़ना चाहिए

कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।। ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।

 

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