Arvind Kejriwal Resign: सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे का ऐलान कर राजनीतिक गलियारे में तहलका मचाया हुआ है. वैसे भी केजरीवाल हमेशा सुर्खियों में कैसे बने रहना है उनसे अच्छा भला कोई भी राजनेता नहीं जानता होगा. तभी तो जेल जाने से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देकर रिकॉर्ड बनाना हो या फिर जेल से बाहर निकलने के बाद अचानक मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे का ऐलान कर देना, वो भी 48 घंटे की मोहलत के साथ. समझ लीजिए ऐसा इस्तीफा भी दुर्लभ ही होगा.
खैर, दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा उसपर आम आदमी पार्टी के बीच मंथन शुरू हो गया है. मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल के साथ इसपर मुहर लगाएंगे. वैसे दिल्ली की कमान किसे सौंपनी है यानी किसे मुख्यमंत्री बनाना है ये तो केजरीवाल ने पहले से तय कर रखा होगा. लेकिन राजनीति में औपचारिकता बड़ी चीज होती है. ऐसे में आज और कल दोनों दिन आम आदमी पार्टी खुद को सुर्खियों में बनाने का कोई भी मौका नहीं छोडेगी.
क्यों चुना 17 सितंबर का दिन?
वैसे केजरीवाल कमाल की राजनीति करते हैं, उन्होंने अपने इस्तीफे का दिन 17 सितंबर चुना है और अब तो दुनिया जानती है कि 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर बीजेपी बड़े कार्यक्रम रखती है और इस बार भी पीएम अपने जन्मदिन पर कल से ही गुजरात में हैं. ऐसे में अंदाजा लगाइए कि 17 सितंबर को जब केजरीवाल औपचारिक तौर पर अपने पद से इस्तीफा देंगे तो दिल्ली में मौजूद मीडिया में कितना फोकस बनेगा.
यहीं नहीं केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की कई वजहें हैं. सबसे बड़ी वजह ये है कि दिल्ली में चुनाव होने में 6 महीने से कम का वक्त बचा है और केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद नाम के ही मुख्यमंत्री रह गए है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कड़ी शर्तों के साथ ही जमानत दी है ऐसे में उनके पास मुख्यमंत्री का पद सिर्फ नाम का है और वो कोई भी महत्वपूर्ण काम नहीं कर पाते ऐसे में उन्होंने सियासत में नैतिकता की बजाय शहीद होने का दांव चला है.
छवि निखारने की कोशिश
यानी जनता के बीच अपनी कट्टर ईमानदार छवि को और मजबूत दिखाना कि अब वापस सीएम तभी बनूंगा जब जनता उन्हें फिर से जिताएगी. केजरीवाल अच्छी तरह जानते हैं कि शराब घोटाले ने उनकी खुद की और आम आदमी पार्टी दोनों की छवि को बहुत नुकसान पहुंचाया है या कहे तो धूमिल कर दिया है.
हालांकि केजरीवाल से अच्छा भला ये कौन जानता हैं कि जनता को मुफ्त की रेवडियां बांटकर कैसे वोट लिया जाता है. लेकिन केजरीवाल अपनी धूमिल हुई छवि को लेकर कोई चांस नहीं लेना चाहते है और उन्होंने इस्तीफे का दांव बहुत सोच समझकर लिया हैं, नहीं तो अगर वो वाकई कट्टर ईमानदर होते तो जेल जाने से पहले ही सीएम पद से इस्तीफा दे दिए होते.
जनता की अदालत में केजरीवाल
केजरीवाल का ये कहना कि वो सीएम की कुर्सी से इस्तीफा देने जा रहे हैं और वो तब तक सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे जब तक जनता अपना फैसला न सुना देगी. यहीं नहीं, इस दौरान केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया का भी पत्ता साफ करते हुए कहा कि मनीष भी तभी अपना पद संभालेंगे जब जनता अपना फैसला सुना देगी. वैसे मनीष भी शराब घोटाले में आरोपी है तो उन्हें भी सीएम नहीं बनाना था.
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अरविंद केजरीवाल अब दिल्ली विधानसभा के लिए फरवरी की जगह नवंबर में चुनाव कराने की भी मांग कर दी है. यानी एक ऐसा नेता जो इस्तीफा भी दे रहा है और ये भी चाहता है कि उसे जल्द से जल्द कुर्सी फिर से मिल जाए. तभी बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि वो कौन सी ऐसी निजी चीज है जो उन्हें 48 घंटे की मोहलत लेनी पड़ रही है. जब दिल्ली में उनकी सरकार है तो वो असेंबली भंग कर दें. वो पहले चुनाव करवाने की मांग क्यों कर रहे हैं.
नहीं मानी अन्ना हजारे की बात
जबकि कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने तो कह दिया केजरीवाल नाटक कर रहे हैं. क्योंकि उन्हें तो बहुत पहले सीएम पद को छोड़ देना चाहिए था और अब बचा क्या है और इस इस्तीफे का क्या मतलब है. इस बीच केजरीवाल के इस्तीफे के फैसले पर उनके आंदोलन गुरु समाज सेवक अन्ना हजारे का भी बयान आया.
उन्होंने कहा कि मैंने अरविंद केजरीवाल से सियासत में आने को मना किया था. उस समय मैंने बार-बार कहा की राजनीति में नहीं जाना. समाज सेवा आनंद देती है. आनंद बढाओ, लेकिन उसके दिल में बात नहीं रही और आज जो होना था वह हो गया. उनके दिल में क्या है मैं क्या जानूं. बहरहाल, केजरीवाल आज बहुत ही घाघ नेताओं में शुमार हो चुके हैं और उनका हर सियासी कदम चौंकाता हैं और विरोधियों को चिंता में डाल देता है.