Atul Subhash Suicide: देश में न जाने कितने सुसाइड होते रहते हैं. लेकिन इन समय एक सुसाइड ने पूरे देश को रुला रहा हो और पूरे समाज को जैसे हिला कर रख दिया हो और इसकी वजह कोई और नहीं हमारा भ्रष्ट सिस्टम है. जहां कानून व्यवस्था को लेकर इतने सवाल है कि जवाब मिलते सालों नहीं सैकड़ों साल लग जाएंगे.
अतुल सुभाष ये वहीं नाम है जिसने कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाते हुए सुसाइड किया है और उनका जो वीडियो और नोट सामने आया उसे देखकर सुनकर सही मायने में सुसाइड अतुल सुभाष को नहीं भ्रष्ट और स्लो सिस्टम को करना चाहिए.
लेकिन कोई क्या करें, सिस्टम में संवदेना नहीं होती. ऐसे में सुसाइड तो इंसान ही करता है और हालात नहीं सुधरे तो आगे करता रहेगा और अगर कुछ बदलेगा तो बस नाम. तभी अतुल सुभाष जैसे लोगों को कहना पड़ता है कि मेरी अस्थियां तब तक विसर्जित न हो जब तक परेशान करने वालों सजा नहीं मिलती और अगर न्याय नहीं मिलता है तो मेरी मौत के बाद मेरी अस्थियां कोर्ट के सामने गटर में बहा दी जाए. ये किसी इंसान की पीड़ा की इंतहा है.
क्या है मामला
ये दर्दनाक कहानी बेंगलुरु के अतुल सुभाष की है. जिनकी शादी उत्तर प्रदेश के जौनपुर की रहने वाली निकिता सिंघानिया से हुई थी. शादी के कुछ दिनों तक सब सामान्य. इसी बीच दोनों का एक बेटा भी हो गया. लेकिन दोनों के बीच अब झगड़ा आम बात हो गई थी.
जिसके बाद निकिता अचानक बेंगलुरु से अपने घर जौनपुर लौट गई और फिर उसने अपने पति अतुल सुभाष और ससुराल पक्ष के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा का जो केस किया. उसने अतुल सुभाष ही नहीं उनके पूरे परिवार की जिंदगी तबाह कर दी. अतुल सुभाष ने अपने सुसाइड से पहले बनाए वीडियो में बताया कि उनकी मौत के लिए पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साला अनुराग सिंघिया और चचेरे ससुर सुशील सिंघानिया जिम्मेदार हैं.
कोर्ट के काटे चक्कर
अतुल ने इसे पैसे ऐंठने के की बड़ी साजिश बताया है और उनके ऊपर झूठे केस दर्द कराए गए. अगर कोई इस आंकड़े पर गौर करें तो हैरान हो जाए. अतुल ने अपने वीडियो में कहा कि अभी तक 120 डेट्स लग चुके हैं और 40 बार उन्हें बेंगलुरु से जौनपुर जाना पड़ा. इसके अलावा उनके माता-पिता और भाई को भी कोर्ट के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.
सुनवाई के दौरान किसी भी पक्ष का वकील अगले डेट की डिमांड कर सकता है . अतुल को साल में सिर्फ 23 छुट्टियां मिलती थीं और वह इस सिस्टम से थक चुके थे. उनपर 6 केस लोअर कोर्ट और तीन हाई कोर्ट में डाला गया है. निकिता ने उनके मां-पिता और भाई के ऊपर हत्या, हत्या का प्रयास, अननेचुरल सेक्स, घरेलू हिंसा, दहेज लेने जैसे झूठे आरोप लगाए और धाराएं ऐसी कि जिसमें बेल मिलना मुश्किल है.
पत्नी ने एक केस में तो ये आरोप लगाया कि 2019 में मेरे परिवार ने 10 लाख रुपये दहेज मांगा, इस सदमे से उनके पिता की मौत हो गई. बाद में क्रॉस एग्जामिनेशन में यह साबित हुआ कि निकिता के पिता को हार्ट की बीमारी थी और इस कारण उनकी मौत हुई. इस दौरान अतुल ने जौनपुर की प्रिंसिपल फैमिली कोर्ट के जज पर आरोप लगाया कि उनके कोर्ट में डेट के लिए पेशकार को घूस देनी पड़ती है.
जज पर दबाव बनाने का आरोप
अतुल ने आरोप लगाया कि कोर्ट में जज ने उन पर तीन करोड़ रुपये की मेंटिंनेस देने का दबाव बनाया. साथ ही, दिसंबर 2024 में केस सेटल करने के लिए पांच लाख रुपये मांगे. अतुल सुभाष ने पत्नी के लिए आखिरी संदेश ये दिया कि मेरे बच्चे को वैल्यू के साथ परवरिश के लिए मेरे माता-पिता को दे दें. उसने अपने भाई को कहा है कि बिना किसी कैमरे के मेरी पत्नी और उसके ससुरालवालों से नहीं मिले.
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आपको बता दें कि कोर्ट में अभी भी तारीख पर तारीख ही मिल रही है और जहां तक बात महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कानून की बात उसके कठोर से कठोरतम बना तो दिया गया. लेकिन इसका दुरुपयोग हो सकता है इसकी आशंका होते हुए भी हमारे भ्रष्ट सिस्टम ने इस कड़वी सच्चाई को जैसे जानबूझकर नजरअंदाज किया हो.
प्यार से प्रताड़ना तक
इस मामले में जो मीडिया रिपोर्ट आ रही उसके मुताबिक ये मामला भी उससे अलग नहीं माना जा सकता. दरअसल अतुल सुभाष ने प्यार किया था. लेकिन उन्हें क्या पता था कि इस प्यार के पीछे प्यार नहीं प्रताड़ना की सोच थी. जिसने एक इंसान क्या पूरे परिवार को खत्म कर दिया है.
एक बेटा होने के बाद पत्नी की ओर से अतुल पर गंभीर आरोप में केस दरज कराना और फिर कोर्ट में रुकने वाली तारीख और भ्रष्टाचार से खींझकर अतुल सुभाष के लिए आखिरकार आत्महत्या ही एक मात्र विकल्प लगा. लेकिन उससे पहले ने 40 पन्नों के सुइसाइड नोट और करीब डेढ़ घंटे के वीडियो में जो कुछ बताया वो किसी इंसान की मानसिक प्रताड़ना का चरमोत्कर्ष कहें तो शायद गलत नहीं होगा.