Chaitra Navratri 2024 Maa Shailputri Puja: आज 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गयी है. नवरात्रि के नौ दिनों में माता दुर्गा के रूपों की विधि-विधान से पूजा आराधना की जाती है, भक्त इस दौरान व्रत का पालन भी करते हैं .नवरात्रि का पहला दिन माता दुर्गा के प्रथम स्वरूप, मां शैलपुत्री को समर्पित है. मां दुर्गा सुख-समृद्धि और आरोग्य प्रदान करने वाली हैं. नवरात्रि के पहले दिन कैसे आपको माता शैलपुत्री की पूजा करनी चाहिए, किन मंत्रों का जप करने से माता प्रसन्न होती हैं, आइए जानते है.
मां शैलपुत्री की पूजा मुहूर्त और तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की आरंभ 08 अप्रैल को रात्रि 11 बजकर 52 मिनट से होगा और इसका समापन 09 अप्रैल को रात 08 बजकर 28 मिनट पर होगा. ऐसे में 09 अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो जाएगी.
मां शैलपुत्री की पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि के पहले दिेन मां शैलपुत्री की पूजा के साथ घटस्थापना भी की जाती है. यानी कलश स्थापना के साथ नवरात्रि पूजन की शुरुआत होती है. मां शैलपुत्री की पूजा विधि आरम्भ करने से पहले सुबह उठाकर स्नान करें और मंदिर की साज सजावट करें. इसके बाद कलश की स्थापना कर पूजा शुरू करें, मां की मूर्ति या तस्वीर को सिंदूर से तिलक लागाने के बाद लाल रंग के पुष्प अर्पित करें. इसके बाद माता को फल और मिठाई अर्पित करें और माता के समक्ष घी का दीपक जलाए. माता की आरती करने के साथ दुर्गा चालीसा का पाठ करें, इसके बाद व्रत का संकल्प लें.
माँ शैलपुत्री चन्द्रमा से सम्बन्ध रखती है. इन्हे सफ़ेद रंग खाद्य पदार्थ का भोग लगाया जाता है जैसे खीर, रसगुल्ले, पताशे आदि. बेहतर स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए माँ शैलपुत्री को गाय के घी का भोग लगाएं या गाय के घी से बनी मिठाईयों का भोग लगाएं.
मां शैलपुत्री का प्राथना मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।
मां शैलपुत्री का उपासनामंत्र
वन्देवांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
मां शैलपुत्री की आरती
शैलपुत्रीमां बैल असवार।
करेंदेवता जय जयकार।
शिव शंकरकीप्रिय भवानी।
तेरीमहिमा किसी ने ना जानी।
पार्वतीतूउमा कहलावे।
जो तुझेसिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धिपरवान करे तू।
दया करे धनवानकरे तू।
सोमवारकोशिव संग प्यारी।
आरतीतेरी जिसने उतारी।
उसकीसगरी आस पुजा दो।
सगरेदुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदरदीप जला के।
गोलागरी का भोग लगा के।
श्रद्धाभाव से मंत्र गाएं।
प्रेमसहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराजकिशोरी अंबे।
शिव मुख चंद्रचकोरी अंबे।
मनोकामनापूर्ण कर दो।
भक्तसदा सुख संपत्ति भर दो।