CJI Sanjeev Khanna: पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के रिटायर्ड होने के बाद अब जस्टिस संजीव खन्ना ने यह पद संभाल लिया है. पद संभालने के साथ ही वह भारत के 51वें चीफ जस्टिस बन गए हैं. सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे जस्टिस संजीव खन्ना पहले कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रह चुके हैं.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुबह करीब 10 बजे राष्ट्रपति भवन में आयोजत समारोह में उन्हें शपथ दिलाई है. शपथ लेने के साथ ही जस्टिस संजीव खन्ना ने डीवाई चंद्रचूड का स्थान ले लिया है. डीवाई चंद्रचूड बीते रविवार को ही रिटायर्ड हो गए थे. अब संजीव खन्ना का कार्यकाल छह महीने से कुछ ज्यादा रहेगा. वह 13 मई 2025 तक सीजेआई के पद पर रहेंगे.
इन मामलों से बटोरी सुर्खियां
दरअसल, बीते 16 अक्तूबर को निवर्तमान सीजेआई चंद्रचूड़ ने जस्टिस खन्ना के नाम की सिफारिश की थी. जिसके बाद केंद्र सरकार ने बीते 24 अक्तूबर को उनकी नियुक्ति की अधिसचूना जारी कर दी थी. इससे पहले बीते शुक्रवार को ही चंद्रचूड़ का सीजेआई के तौर पर आखिरी कार्य-दिवस था. उनके कार्यकाल के अंतिम दिन जजों, वकीलों और शीर्ष अदालत के साथ हाई कोर्ट के कर्मचारियों ने उन्हें विदाई दी थी.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस खन्ना 18 जनवरी 2019 से न्यायाधीश के तौर पर काम कर रहे हैं. इस दौरान जस्टिस खन्ना कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रह चुके हैं. उन्होंने चुनाव में ईवीएम की उपयोगिता बनाए रखने, चुनावी बांड योचना को खारिज करने, अनुच्छेद-370 के निरस्तीकरण के फैसले को कायम रखा है.
कौन हैं नए चीफ जस्टिस
इसके अलावा दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव प्रचार की अनुमति देने का फैसला भी उन्होंने दिया था. जस्टिस खन्ना दिल्ली के परिवार से ताल्लुक रखते हैं. वह दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस देव राज खन्ना के बेटे और सुप्रीम कोर्ट के जज एचआर खन्ना के भतीजे हैं. जज नियुक्त होने से पहले वह अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी के वकील थे.
बता दें कि नए सीजेआई संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस ला सेंटर से कानून की पढ़ाई की है. इसके बाद 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के तौर पर रजिस्टर होने के बाद उन्होंने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट परिसर में जिला कोर्ट और हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की है.