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DY Chandrachud: CJI ने दो साल में एक लाख से ज्यादा मामलों का निपटारा किया, 370 से NET-UG तक ये अहम फैसले

DY Chandrachud: सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है. शुक्रवार को उनके कार्य दिवस का अंतिम दिन था. इस दिन उन्होंने एएमयू से संबंध मामले में एक और बड़ा फैसला दिया, जिसकी चर्चा जमकर हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने उनके सम्मान में विदाई समारोह का आयोजन किया.

अपने विदाई समारोह में सीजेआई ने कहा कि पिछले दो वर्षों में 1,11,000 मामले दर्ज किए गए, 5,33,000 मामले सूचीबद्ध किए गए और 1,07,000 मामलों का निपटारा किया गया. आपने शायद कहीं पढ़ा होगा कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या 82,000 हो गई है. जब पद संभाला तो रजिस्ट्रार की अलमारी में लगभग 1,500 फाइलें बंद पड़ी थीं.

उन्होंने कहा कि 1 जनवरी 2020 को लंबित मामलों की संख्या 79,000 थी. यह संख्या 1 जनवरी 2022 को 93,000 तक पहुंच गई. इसके बाद 1 जनवरी 2024 को घटकर 82,000 रह गई. यानी दो सालों में इस संख्या में 11 हजार की कमी आई है. हालांकि इस दौरान कई ऐसे मामलों में सुनवाई हुई जिसके लिए सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ को हमेशा याद रखा जाएगा.

ये अहम फैसले

अनुच्छेद 370 बताया वैध- चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को वैध बताया. दरअसल, कोर्ट में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के संसद के फैसले को चुनौती दी गई थी.

इलेक्ट्रोरल बांड- सीजेआई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने इस साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इलेक्ट्रोरल बांड को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था. कोर्ट ने इसके साथ ही इसे रद्द करते हुए चुनाव आयोग से पूरे आंकड़े आधिकारिक वेबसाइट पर जारी करने के निर्देश दिए थे.

जेलों में भेदभाव पर रोक- सीजेआई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने भारत के जेलों में जाति-आधारित भेदभाव को असंवैधानिक करार दिया था. इसके साथ ही उन्होंने जेल मैनुअल को तुरंत संशोधित करने का निर्देश दिया था.

बाल विवाह पर दिशा निर्देश- सीजेआई की बेंच ने भारत में बाल विवाह के मामलों में बढ़ोतरी का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की थी. कोर्ट ने बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के प्रभावी नियमों को लागू करने के निर्देश दिए.

नागरिकता कानून की धारा 6A- CJI की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने 4-1 से नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6A की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी थी. यह मामला बांग्लादेश से असम आए प्रवासियों की नागरिकता से जुड़ा हुआ था.

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NET-UG की दोबारा अनुमति से इंकार- डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली कमेटी ने नीट-यूजी 2024 की परीक्षा फिर से कराए जाने की मांग से जुड़ी याचिका को खारिज करते हुए परीक्षा दोबारा कराने से मना कर दिया.

अदाणी-हिंडनवर्ग विवाद- इस विवाद की जांच के लिए सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने एसआईटी या विशेषज्ञ समूह बनाने से इन्कार कर दिया था. उन्होंने कहा कि किसी तीसरे संगठन की तैयारी रिपोर्ट को निर्णायक प्रमाण नहीं मान सकते हैं.

इन फैसलों के लिए किया जाएगा याद

मणिपुर यौन उत्पीड़न, सांसदों-विधायकों के मामले, अयोध्या भूमि विवाद, सहमति से बनाये गए समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने जैसे समाज और राजनीति पर अमिट छाप छोड़ने वाले कई फैसले निवर्तमान सीजेआई के नाम पर हैं.

भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को कई फैसलों के लिए याद रखा जाएगा. वह अपने कार्य दिवस के अंतिम दिन भावुक हो गए. अब रविवार को उनका अंतिम दिन होगा.

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