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Haryana Assembly Election 2024: ऐसा तो राहुल गांधी ही कर सकते हैं, सियासी गलियारों में मचा है हड़कंप

Haryana Assembly Election 2024: इस बार के लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतने के बाद लगा था कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी दोनों चुनाव और राजनीति को लेकर गंभीर होंगे. लेकिन लगता है कि गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी इस खुशफहमी में हैं कि देशभर में अभी भी सत्ता विरोधी लहर कायम है और आज भी पार्टियां नहीं जनता चुनाव लड़ रही हो.

तभी तो जम्मू-कश्मीर में मतदान चल रहा है और हरियाणा में मतदान की तारीख सिर है और पूरा गांधी परिवार यानी सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी और प्रिंयका गांधी वाड्रा तक शिमला में छुट्टियां बिताने के बाद एक-एक कर वापस लौट रहे हैं. राहुल और सोनिया पहले ही छुट्टी बिताकर वापस लौट चुके हैं और राहुल फिर से प्रचार में लग गए हैं.

चुनाव के बीच राजनीति से छुट्टी

जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा अब जाकर शिमला से वापस लौटी हैं और वो कब सक्रिय होंगी पता नहीं. लेकिन जब चुनाव चल रहे हो तो कोई भी गंभीर नेता क्या इस तरह पहाड़ों पर छुट्टियां बिताने की सोच भी सकता है. सच मानिए, ऐसा राहुल गांधी ही कर सकते हैं. कई बार तो ऐसा लगता है कि वो राजनीति कर रहे हैं या मजाक और अगर राजनीति करनी है तो उसे गंभीरता से करनी चाहिए.

कल्पना करें कि जिस कांग्रेस पार्टी की कभी हरियाणा में सालों तक सरकार रही हो और वो 10 सालों से सत्ता से बाहर है. इस बार उसकी सत्ता में वापसी की प्रबल संभावना हो फिर भी हरियाणा कांग्रेस में चरम पर जारी गुटबाजी और मचे बवाल के बीच पार्टी के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी नाराज नेताओं को मनाने और पार्टी को एकजुट रखने की बजाय शिमला में छुट्टी मनाने चले गए.

गिनती की रैलियां और सभाएं की

माना कि जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के लिए बहुत ज्यादा स्कोप और स्पेस नहीं है फिर भी अब्दुल्ला पिता-पुत्र की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठंबधन तो है ही. ऐसे में वहां भी राहुल गांधी को अपने नेताओं को मजबूती से चुनाव लड़ाना चाहिए था. लेकिन राहुल गांधी ने यहां दो चरणों के मतदान से पहले गिनती की रैलियां और सभाएं की है.

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जरा सोचिए इसे मजाक नहीं तो और क्या कहा जाए. गौरतलब है कि जब से हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनाव की घोषणा हुई है तब से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पहले अमेरिका दौरे पर गए फिर वहां से चार-पांच दिनों के लिए कहां गए वो अब भी रहस्य है. लेकिन ताज्जुब तो तब हुआ जब वो फिर हिमाचल चले गए और वहां पहले से मौजूद मां सोनिया गांधी और बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ छुट्टियां मनाने लगे. अब इसे क्या कहेंगे.

चुनाव से दूरी क्यों

आखिर राहुल गांधी या कहें तो पूरा परिवार आखिर चुनाव को लेकर क्या सोचता है और ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा ने खूब प्रचार किया था. लेकिन इस बार के चुनाव आखिर क्या वजह है कि वो चुनाव प्रचार से दूर हैं या उन्हें किस कारण से दूर रखा गया है. जबकि वो केरल के वायनाड से जब वहां उपचुनाव होगा तो कांग्रेस की प्रत्याशी होंगी.

यहीं नहीं नवंबर में झारखंड और महाराष्ट्र में भी विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. ऐसे में उनकी विरोधी भाजपा गठबंधन पूरी ताकत से इन राज्यों में जुटी हुई हैं. लेकिन राहुल और कांग्रेस पार्टी अपने में ही मगन है. शायद इसीलिए हरियाणा में कहा जाने लगा है कि एंटी इन्कम्बैंसी के बावजूद बीजेपी की स्थिति सुधार रही है. ऐसे में कही कांग्रेस के हाथ आई जीत उससे दूर न चली जाए. यहीं नहीं मल्लिकार्जुन खड़गे भी हरियाणा में जोर नहीं लगा रहे हैं जबकि वहां दलित समुदाय की शैलजा नाराज हैं.

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