BBTV:हिंदू धर्म मे मंदिर में परिक्रमा करना बहुत शुभ माना जाता है और ऐसा कहा जाता है कि इससे बहुत लाभ होते हैं। ज्योतिष में ऐसा माना गया है कि अलग -अलग भगवानों की परिक्रमा के अलग नियम हैं।परिक्रमा करने के कुछ नियम बताए जाते हैं । और उनका पालन जरूरी माना जाता है। यदि हम नियमों की मानें तो परिक्रमा हमेशा घड़ी की सुई की दिशा में की जाती है। आपको कभी भी परिक्रमा उल्टी दिशा में नहीं करनी चाहिए। ऐसे ही अगर आप किसी भी देवी-देवता की परिक्रमा करें तो उसके भी कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं।वहीं शिवलिंग की पूरी परिक्रमा न करने की सलाह दी जाती है। जानें मंदिर में हर एक भगवान की परिक्रमा करने के सही नियमों के बारे में।
किस देवता की कितनी परिक्रमा करें
शिव जी – शिवलिंग की आधी परिक्रमा
विष्णु जी – पांच परिक्रमा
हनुमान जी – तीन परिक्रमा
दुर्गा जी (सभी देवियां) – एक परिक्रमा
सूर्य देव – सात परिक्रमा
गणेश जी – तीन परिक्रमा
पीपल का पेड़ – 108 परिक्रमा
कैसे करें परिक्रमा
- परिक्रमा हमेशा घड़ी की दिशा में करनी चाहिए | सीधे हाथ की ओर से परिक्रमा शुरू करे|मंदिर बहुत पवित्र स्थान होता है यहां लगातार मंत्र जाप, पूजा और घंटियों की ध्वनि से सकारात्मक ऊर्जा एक घेरा बन जाता है| ये ऊर्जा उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर प्रवाहित होती है
- ऐसे में दाहिने ओर से परिक्रमा करने पर साधक को सकारात्मक ऊर्जा का लाभ मिलता है|इससे मानसिक तनाव दूर होते हैं, आध्यात्मक की ज्योति जाग्रत होती है|
- परिक्रमा करने का मंत्र
यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च। तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे।।
अर्थ – हमारे द्वारा जाने-अनजाने में किए गए और पूर्वजन्मों के भी सारे पाप प्रदक्षिणा के साथ-साथ नष्ट हो जाए| परमपिता परमेश्वर मुझे सद्बुद्धि प्रदान करें । परिक्रमा के दौरान अपने इष्ट देव के मंत्र का जाप करने से भी उसका शुभ फल मिलता है|