Krishna Janmabhoomi Case: मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा मुस्लिम पक्ष की रिकॉल अर्जी को खारिज कर दिया गया. इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा शाही ईदगाह कमेटी की रीकाल अर्जी के खारिज होने की खबर सुनते ही हिंदूवादी लोगों में खुशी की लहर छाई हुई है. हिंदूवादी लोगों ने हाईकोर्ट के फैसले को बताया हिंदू पक्ष की बड़ी जीत बताया है.
श्री कृष्ण जन्म स्थान और शाही ईदगाह विवाद मामले में वादी दिनेश चंद शर्मा ने श्री कृष्ण जन्म स्थान के सामने मिठाई बांटकर खुशी जताई है. श्री कृष्ण जन्म स्थान और शाही ईदगह विवाद मामले के वादी महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि जज मयंक कुमार द्वारा यह आदेश पास कर दिया गया है कि मुस्लिम पक्ष ने जो रिकॉल एप्लीकेशन लगाई थी उसे नष्ट कर दिया गया है. यह अभूतपूर्व आदेश माननीय इलाहाबाद न्यायालय द्वारा दिया गया है यह सत्य की जीत है.
याचिका खारिज की
वहीं श्री कृष्ण जन्म स्थान और शाही ईदगाह विवाद मामले के वादी दिनेश शर्मा ने बताया कि पिछली सुनवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम निर्णय लिया था, जिसमें सभी मुकदमों को एक साथ सुनवाई के लिए आदेश दिया था. मुस्लिम पक्ष में उसे आदेश को रिकॉल करने के लिए कोर्ट में एप्लीकेशन लगाई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसे एप्लीकेशन को खारिज कर दिया है.
उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष चाहता है कि सभी मामलों की सुनवाई अलग-अलग हो क्योंकि मुस्लिम पक्ष के पास कोई साक्ष्य ऐसा नहीं है. वह केवल इस मामले को लेट करना चाहता है. हिंदू पक्ष ने इस पर आपत्ति जताते हुए न्यायालय से मांग की थी कि हमारे सभी मुकदमे एक साथ सुनेगा. लेकिन मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि जब सभी केसों के उद्देश्य अलग-अलग है तो उनकी अलग-अलग सुनवाई की जाए.
1968 का समझौता
लेकिन हिंदू पक्ष की तरफ से कहा गया था कि हमारे सभी मुकदमों के उद्देश्य एक ही है जो 1968 में समझौता हुआ था, उसको रद्द कर कर हमारी जमीन को हिंदू पक्ष को वापस किया जाए. सभी मुकदमा का एक ही उद्देश्य है कि भगवान श्री कृष्ण के मंदिर पर अवैध कब्जे को हटाया जाए. माननीय न्यायालय में दोनों पक्ष को सुनने के बाद आज एक ऐतिहासिक निर्णय दिया है.
कोर्ट के इस फैसले के बाद अब सभी 15 मामलों की सुनवाई एक साथ होगी. इस मामले की सुनवाई छह नवंबर दोपहर दो बजे से शुरू होगी. इससे पहले इसी साल 11 जनवरी को हाई कोर्ट ने एक साथ सुनवाई का आदेश दिया था. अब रिकाल अर्जी पर भी उस फैसले को बरकरार रखा है.