Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है. राज्य की सभी 288 विधानसभा सीटों पर एक साथ वोटिंग होगी. लेकिन दूसरी तरफ देखा जाए तो दोनों ही गठबंधनों की राह इस चुनाव में आसान नहीं होने वाली है. एक ओर NDA यानी महायुति को जीत का फॉर्मूला खोजना होगा तो दूसरी ओर महा विकास अघाड़ी को सत्ता का रास्ता खोजना होगा.
दरअसल, लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में महायुति का प्रदर्शन काफी खराब रहा था. जबकि दूसरी ओर महा विकास अघाड़ी को बीते दो विधानसभा चुनावों की हार के बाद लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती होगी. अगर बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति को हरियाणा की तरह जीत दर्ज करने के लिए को चमत्कार करना होगा. लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजे पर गौर करना होगा.
क्या रही है कमजोरी
अगर लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो महा विकास अघाड़ी ने महायुति को केवल 17 सीटों तक सीमित कर दिया था. हालांकि वोट फीसदी के हिसाब से देखें तो महायुति केवल 0.17 फीसदी पीछे रहा था. यहां जीत के लिए महायुति को एक बार फिर ओबीसी और दलित वोटर्स को साधने की जरूरत होगी. इसके लिए गठबंधन को राज्य के तीन इलाकों में अपने समीकरण को दुरुस्त करना होगा.
इस गठबंधन की नजर 40 फीसदी ओबीसी और 10 फीसदी दलित वोट बैंक पर होगी. इन वोटर्स से नाराजगी की कीमत बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन को लोकसभा चुनाव के दौरान उठानी पड़ी थी. पश्चिम महाराष्ट्र, मराठवाड और उत्तर महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा नुकसान महायुति को हुआ था. इस इलाके में लोकसभा की 26 सीटें थीं और महायुति केवल 9 सीटें जीत पाई थी.
कैसे बन रही रणनीति
जबकि महा विकास अघाड़ी ने इस इलाके की 26 में से 14 सीटों पर जीत दर्ज की थी. लोकसभा चुनाव के दौरान महायुति को केवल कोंकण के इलाके में सफलता मिली थी. तब मुंबई में शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने अपना दबदबा दिखाया था. अगर महा विकास अघाड़ी की रणनीति को देखें तो वो ओबीसी और दलितों वोटर्स पर फोकस कर रहे हैं.
हालांकि लोकसभा चुनाव के बाद शिंदे सरकार ने महिलाओं को अपने पाले में लाने के लिए लाडली बहना योजना शुरू की है. जबकि ओबीसी वोटर्स को साधने के लिए क्रीमीलेयर की सीमा 8 लाख से बढ़ाकर 15 लाख करने की सिफारिश की गई है. जबकि शहरी वोटर्स को साधने के लिए लोकल टोल नाकों पर टैक्स फ्री कर दिया गया है.