Manipur Violence: मणिपुर में जारी हिंसा के बीच अब सियासी संकट पैदा होते जा रहा है. एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को बीते रविवार को बड़ा झटका लगा था. तब एनपीपी ने ने राज्य में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति की वजह से सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. इसके बाद कांग्रेस का दावा है कि राज्य में सरकार अल्पमत में है.
कांग्रेस महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा, “कल रात मुख्यमंत्री ने इम्फाल में एक बैठक बुलाई थी, उन्होंने सभी NDA विधायकों को बैठक में बुलाया था. बैठक में NDA के केवल 26 विधायक थे, 18 नहीं थे. इस प्रकार मुख्यमंत्री सहित 27 विधायक वहां थे. बाद में पता चला कि उनमें से 3 विधायकों के जाली हस्ताक्षर किए गए थे, क्योंकि वे वहां नहीं थे. हमारा मानना है कि वहां केवल 24 विधायक थे. विधानसभा में 60 विधायक हैं.”
जयराम रमेश ने कहा, ‘इसलिए, सब कुछ स्पष्ट है. क्या मणिपुर के असली सूत्रधार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दीवार पर लिखी इस बात को पढ़ रहे हैं? NDA के एक सहयोगी दल के अध्यक्ष ने भाजपा अध्यक्ष को पत्र लिखा कि वे समर्थन वापस ले रहे हैं. उस पार्टी NPP के पास 7 विधायक हैं. PM मणिपुर नहीं जाते. उन्होंने इसकी जिम्मेदारी गृह मंत्री को सौंप दी है. वहां स्थिति बहुत संवेदनशील है. किसी भी समय हिंसा भड़क सकती है.’
NPP ने चिट्ठी में क्या लिखा
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि पीएम मणिपुर जाएं और 1-2 दिन वहां रहें, लोगों से मिलें राजनीतिक दल और राजनेता संसद सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाएं. मुझे लगता है कि यह गृह मंत्री की पूरी तरह से विफलता है. जबकि इससे पहले एनपीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कोनराड के. संगमा ने बीजेपी के के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को चिट्ठी लिखी थी. उन्होंने अपनी चिट्ठी में मणिपुर सरकार के प्रति अपनी निराशा जताई थी.
इसी चिट्ठी में एनपीपी के ओर से समर्थन वापस लेने का ऐलान किया गया था. संगमा ने लिखा था, ‘NPP मणिपुर राज्य में मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करना चाहती है. बीते कुछ दिनों से हम राज्य में स्थिति को और बिगड़ते हुए देख रहे हैं. कई और निर्दोष लोगों की जान चली गई है. राज्य के लोग भारी पीड़ा से गुजर रहे हैं. सरकार संकट को हल करने में पूरी तरह विफल रही है.’