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One Nation One Election: ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर आम सहमति बनाने की तैयारी, कांग्रेस बोली- ‘विपक्ष उसे होने नहीं देगा’

One Nation One Election: केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से जुड़े विधेयक को मंजूरी दे दी है. संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है, इसी सत्र में यह बिल संसद में पेश किया जा सकता है. यह बिल पूरे देश में एक चुनाव का मार्ग प्रशस्त करता है. सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार अब बिल पर आम सहमति बनाना चाहती है.

शिवसेना (UBT) नेता अरविंद सावंत ने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर कहा, “इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की आवश्यकता है. यह आसान नहीं है. यह एक ऐसा विषय है जिस पर विस्तृत चर्चा की आवश्यकता है. मुझे लगता है कि इसके लिए अब संयुक्त संसदीय समिति की आवश्यकता है. उन्हें संयुक्त संसदीय समिति का गठन करना चाहिए. हर किसी के अपने-अपने विचार हैं. हमें देश के संघवाद, देश के लोकतंत्र. धर्म, भाषा, क्षेत्रवाद के संदर्भ में विविधता को समझना चाहिए.”

उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा, “रामनाथ कोविंद (समिति के अध्यक्ष) से मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि आज इस देश की GDP कितनी है ये भी उन्हें बताना चाहिए. ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ देश को कमजोर करेगा मजबूत नहीं करेगा. अगर ऐसी स्थिति बनेगी तो इससे देश कमजोर होगा.” जबकि कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, “अगर इसमें कोई बात पूर्ण नहीं है या उचित नहीं है विपक्ष उसे होने नहीं देगा. हम एक बात तो समझ सकते हैं कि इससे समय बचेगा लेकिन एक बात समझ नहीं आ रही है कि इससे GDP में बढ़ोतरी कैसे होगी?”

गंभीर मंथन होना चाहिए- कांग्रेस

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर कहा, “चुनाव आयोग प्रधानमंत्री के इच्छानुसार दो राज्यों के चुनाव कभी एक साथ करते हैं तो कभी अलग-अलग करते हैं. हम ये चाहते हैं कि चुनाव की पूरी प्रक्रिया को नए तरीके से देखा जाए. मतदाता सूची में धांधली होती है. चुनाव आयोग विपक्षी दलों के साथ बैठता भी नहीं, न ही सवाल उठाता है. पूरी चुनाव की प्रक्रिया में गंभीर मंथन होना चाहिए. ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ लोगों के मन में जो आशंका है उसका समाधान नहीं है.”

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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने ट्वीट किया, “केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद में कठोर ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक’ पेश करने को मंजूरी दे दी है. यह अव्यावहारिक और लोकतंत्र विरोधी कदम क्षेत्रीय आवाज़ों को मिटा देगा, संघवाद को खत्म कर देगा और शासन को बाधित करेगा. उठो INDIA! आइए हम अपनी पूरी ताकत से भारतीय लोकतंत्र पर इस हमले का विरोध करें!”

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