PM Modi in Lok Sabha: भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “हम सभी के लिए, सभी देशवासियों के लिए, दुनिया के लोकतंत्र पसंद नागरिकों के लिए ये बहुत गर्व का पल है. लोकतंत्र के पर्व को बड़े गौरव के साथ मनाने का अवसर है. संविधान के 75 वर्ष की यात्रा एक अविस्मरणीय यात्रा है और दुनिया के सबसे महान और विशाल लोकतंत्र की इस यात्रा के मूल में हमारे संविधान निर्माताओं की दूरदर्शिता का योगदान है, जिसे लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं. 75 वर्ष पूरे होने पर ये उत्सव का क्षण है.”
संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “करीब 6 दशक में 75 बार संविधान बदला गया. जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री जी ने बोया था उस बीज को खाद-पानी देने का काम एक और प्रधानमंत्री ने किया, उनका नाम था श्रीमति इंदिरा गांधी. 1971 में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया था, उस फैसले को संविधान बदलकर पलट दिया गया था, 1971 में संविधान संशोधन किया गया था. उन्होंने हमारे देश की अदालत के पंख काट दिए थे. इनके मुंह खुन लग गया था.”
संविधान निर्माता बहुत सजग थे- पीएम
भारतीय संविधान की 75 वीं वर्षगांठ पर आयोजित विशेष चर्चा में पीएम मोदी कहा, “जब देश संविधान के 25 वर्ष पूरे कर रहा था उसी समय हमारे संविधान को नोच दिया गया, आपातकाल लाया गया. संवैधानिक व्यवस्थाओं को समाप्त कर दिया गया, देश को जेल खाना बना दिया गया, नागरिकों के अधिकारों को लूट लिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता को ताला लगा दिया गया, कांग्रेस के माथे पर यह जो पाप है वह धूलने वाला नहीं है.”
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. 75 साल की हमारी यात्रा है और 55 साल एक ही परिवार ने राज किया है. इस परिवार के कुविचार और कुनीति निरंतर चल रही है. हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी है. 1947 से 1952 तक एक स्थायी व्यवस्था थी. चुनाव नहीं हुए थे. 1952 के पहले राज्यसभा का गठन नहीं हुआ था. 1951 में जब चुनी हुई सरकार नहीं थी तब विधेयक लाकर अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कर दिया गया.’
राष्ट्रपति ने चेताया था- पीएम
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘1952 के पहले राज्यसभा का भी गठन नहीं हुआ था. राज्यों में भी कोई चुनाव नहीं थे, जनता का कोई आदेश नहीं था. उसी दौरान उस समय के प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को एक चिट्ठी लिखी थी. उस चिट्ठी में उन्होंने लिखा था, ‘अगर संविधान हमारे रास्ते के बीच में आ जाए तो हर हाल में संविधान में परिवर्तन करना चाहिए’. 1951 में ये पाप किया गया लेकिन देश चुप नहीं था. उस समय के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें चेताया कि ये गलत हो रहा है. लेकिन पंडित जी का अपना संविधान चलता था और इसलिए उन्होंने इतने वरिष्ठ महानुभावकों की सलाह मानी नहीं. ये संविधान संशोधन करने का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह लग गया कि समय-समय पर वो संविधान का शिकार करती रही.’
धारा 370 देश की एकता पर रुकावट बना- पीएम
उन्होंने कहा, ‘भारत की एकता को मजबूती देने का निरंतर हम प्रयास करते रहे हैं. धारा 370 देश की एकता पर रुकावट बना पड़ा था, दीवार बना पड़ा था. देश की एकता हमारी प्राथमिकता थी जो कि हमारे संविधान की भावना थी और इसलिए धारा 370 को हमने जमीन में गाड़ दिया. हमारे देश में एक लंबे समय तक GST को लेकर चर्चा चलती रही. मैं समझता हूं अर्थव्यवस्था की एकता में GST ने बहुत बड़ी भूमिका अदा की है. यह ‘वन नेशन-वन टैक्स’ की भूमिका को आगे बढ़ा रहा है.’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारे देश में राशन कार्ड गरीब के लिए एक मूल्यवान दस्तावेज रहा है लेकिन गरीब एक राज्य से दूसरे राज्य में जाता था तो उसके पास कुछ भी प्राप्त करने का अधिकार नहीं था. एकता के भाव को मजबूत करने के लिए हमने ‘वन नेशन वन राशन’ कार्ड की बात की.’