PM Modi in US: नरेंद्र दामोदर दास मोदी, आज एक ऐसा नाम जिसे दुनिया द बॉस मान रही है और ये सब यूं ही नहीं हो गया. अभी आपने दुनिया के जिन तमाम नेताओं के साथ प्रधानमंत्री मोदी की जो तस्वीरें देखी और उसमें उनका बॉडी लैंग्वेज और उन नेताओं के साथ उनकी बॉंडिंग ये बताने के लिए काफी है कि मोदी है तो मुमकिन है.
अगर दुनिया आज मोदी की मुरीद हैं तो उसके पीछे उनका जबरदस्त कुटनीतिक कौशल है. हालांकि मोदी ने देश में या दुनिया में अगर खुद को एक ब्रैंड बनाया है तो उसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत और मिशन की तरह काम करने का जज्बा भी है. कोई माने या न माने, लेकिन इस सच से कोई इंकार नहीं कर सकता है कि मोदी की राजनीति का कायल पहले देश हुआ और अब कूटनीति के मोर्चे पर दुनिया मोदी की दीवानी है. समस्या चाहे बड़ी हो या छोटी हो, विकट हो या निकट आज दुनिया सबका समाधान मोदी में देखने लगी है. यानी मोदी मतलब शांति-दूत.
अब बदला चुका है समय
जी हां. प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिका दौरा हो या उससे पहले हुए उनके कुछ अहम दौरे. पीएम मोदी ने अपने दमखम से दुनिया को ये बता दिया कि अब समय बदल चुका है और कोई भी एक देश दुनिया का दरोगा नहीं बन सकता. आज मोदी दुनिया में जहां भी जा रहे हैं, हर वो देश जहां युद्ध या संघर्ष जैसी समस्या है, तो वहां का नेता उसका समाधान मोदी के जरिए ढूंढ रहा है.
अब जरा इस खास तस्वीर को ही ले लीजिए. अमेरिकी दौरे पर फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास और प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात हुई. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जारी जंग को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए संघर्ष विराम, बंधकों की रिहाई, संवाद और कूटनीति के जरिए समाधान निकालने का आह्वान किया.
प्रधानमंत्री कर सकते हैं पहल
उन्होंने जोर देकर कहा कि सिर्फ दो देशों के बीच समाधान ही क्षेत्र में स्थायी शांति और स्थिरता प्रदान कर सकता है. इजराइल भारत का पक्का दोस्त है और संकट के समय काम आता है तो दूसरी तरफ यासार आराफात के समय से भारत फिलीस्तीन को भी समर्थन देता आया है. ऐसे में समझा जा सकता है कि फिलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के मन मस्तिष्क में भी कहीं न कहीं ये बात जरूर चल रही होगी कि प्रधानमंत्री मोदी गाजा और इजराइल के बीच जारी जंग को रुकवाने के लिए उसी तरह की पहल कर सकते हैं.
जैसा वो हाल ही में रुस और युक्रेन के बीच जारी जंग को रुकवाने की कोशिश में लगे हैं और इसके तहत वो पहले रुस में पुतिन के साथ मिले थे और फिर जंग के बीच यूक्रेन जाकर राष्ट्रपति जेलेस्की से मिले. उन्हें ढांढ़स बंधाया और फिर अजित डोभाल के जरिए रूसी राष्ट्रपति पुतिन तक इस मुलाकात में हुई बातचीत का संदेश भिजवाया.
चर्चा का केंद्र बनी ये तस्वीर
जिसके बाद दुनिया को ये उम्मीद बंधी है कि अब ये युद्ध रुक सकता है. शायद प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के वक्त फिलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के जेहन में भी ये बातें चल रही हो. यहीं नहीं अमेरिकी दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने क्वाड शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लिया. इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का एक सवाल का जवाब देते-देते प्रधानमंत्री मोदी के कंधे पर हाथ रखने वाली एक तस्वीर की काफी चर्चा हो रही है.
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दरअसल, हुआ ये कि फोटो-शूट के दौरान एक मीडियाकर्मी ने जो बाइडेन से सवाल पूछा कि क्या नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद भी क्वाड ग्रुप चलता रहेगा. इस सवाल के जवाब पर राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पीएम मोदी के कंधे पर हाथ रखकर मुसकुराते हुए कहा कि यह नवंबर के आगे भी चलता रहेगा. अब बाइडेन का इशारा समझा जा सकता है. 2025 में क्वाड सम्मेलन का आयोजन भारत में होगा.
भारत में निवेश की कोशिश
इधर, यूएस चैम्बर ऑफ कॉमर्स के मुताबिक, 50 कंपनियां चीन छोड़ने को तैयार हैं जिन्होंने चीन में करीब 12 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया हुआ. इनमें से 15 से ज्यादा कंपनियां भारत में निवेश की कोशिश में हैं. यहीं नहीं अब दुनिया भर के निवेशकों की पसंद मेक्सिको, अमेरिका और यूरोप नहीं बल्कि भारत बनता जा रहा है और इस मामले में अब भारत 5वें से दूसरे नंबर पर आ गया है.
उधर चीन का भी कहना है कि वो भारतीय कंपनियों को चीन के बाजार में ज्यादा से ज्यादा निवेश का स्वागत करने के लिए तैयार है. यानी देश में भले ही कुछ मोर्चों पर प्रधानमंत्री की राजनीति को लेकर सवाल उठ रहे हों लेकिन कूटनीति मोर्चे पर तो बेशक दुनिया मोदी-मोदी कर रही है.