Supreme Court: चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना और डाउनलोड करना अब अपराध की श्रेणी में आएंगे. दोनों ही स्थिति में इन्हें अब पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत रखा जाएगा. यह फैसला सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया है. कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
कोर्ट ने इन मामले में सुनवाई करते हुए कहा अभी तक चाइल्ड पोर्नोग्राफी को देखना या डाउनलोड करना पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत नहीं आता है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसला को पलट दिया है. वहीं कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है.
मद्रास हाईकोर्ट का फैसला पलटा
अपने सुझाव में कोर्ट ने कहा कि “चाइल्ड पोर्नोग्राफी” शब्द को “बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री” से बदलने के लिए कहा है. दरअसल, इसी साल मार्च महीने के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली नोटिस जारी किया था.
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और उसे अपने पास रखना कोई अपराध नहीं है. तब कोर्ट ने चेन्नई के 28 साल के व्यक्ति को बरी कर दिया था क्योंकि निजी तौर पर चाइल्ड पोर्न देखना पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत नहीं आता है.
अध्यादेश लाने का आग्रह
लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में सरकार से आग्रह करते हुए संसद में पॉक्सो एक्ट पर कानून बनाने के लिए अध्यादेश लाने के पर विचार करने के लिए कहा है. कोर्ट ने कहा कि किसी भी फैसले में चाइल्ड पोर्न का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.
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इस मामले में कोर्ट ने कहा कि अगर इस तरह के पोर्न कोई अपने पास रखता है तब वह पॉक्सो एक्ट और आईटी कानून के तहत आरोपी होगा. यह कोई अधूरा नहीं बल्कि पूरा अपराध है. बता दें कि चेन्नई पुलिस ने आरोपी का फोन जब्त किया था, जिसमें चाइल्ड पोर्न वीडियो डाउनलोड कर रखा हुआ था. इसके बाद इस मामले में पॉक्सो एक्ट की धारा 14(1) के तहत केस दर्ज किया गया था.