BBTV: एसिड अटैक क्या होता है वही जान सकता है। जो इस खौफनाक मंजर से गुजरा हो। आज हम इस लेख मे एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी की कहानी बता रहे। शादी से मना करने पर 32 वर्षीय व्यक्ति ने एसिड अटैक कर दिया था। जब उन पर एसिड अटैक हुआ तो वह 15 साल की थी । लक्ष्मी अग्रवाल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि तेजाब गिरते ही किसी प्लास्टिक की तरह मेरी चंमडी पिघल रही थी ।कहा कि उस समय ऐसा लग रहा था कि मानो उनके सिर पर जैसे पत्थर रख दिया गए। अस्पताल मैं जब मैं अपने पिता को गले लगाया । तो उनकी शर्त कई जगह से चल गई लक्ष्मी ने बताया कि जब डॉक्टर की आंखें सील रहे थे तभी होश मैं थी । सर्जरी और ढाई महीने के बाद जब वह अपने घर लौटी तो उनके परिवार के लोगों ने घर से सारे शीशे हटा दिए थे ।क्योंकि उसे वक्त उनका चेहरा बेहद डरावना था । वहां एक एसिड अटैक हमले से उभर कर निकली और दूसरों को जीवन का मतलब सिखाती बेहद इंस्पिरेशन देने वाली महिला है
एसिड बिक्री को रोकने के लिए याचिका
अपने मुश्किल समय से निकलकर आई लक्ष्मी रियल लाइफ की हीरो मानी जाती हैं। वह उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा के रुप में काम करती हैं जिनपर एसिड अटैक हुए हैं। उन्होंने एसिड बिक्री को रोकने के लिए याचिका के लिए 27,000 हस्ताक्षर एकत्र करके भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में एसिड हमलों के खिलाफ वकालत की है। उनकी याचिका ने सुप्रीम कोर्ट को केंद्रीय और राज्य सरकारों को एसिड की बिक्री को नियंत्रित करने के लिए ना सिर्फ आदेश दिया बल्कि संसद को एसिड हमलों के मुकदमे और संसद ने एसिड हमलों के अभियोग को आगे बढ़ाने के लिए आसान बना दिया ।
एसिड की बिक्री के खिलाफ एक अभियान चलाया
लक्ष्मी अग्रवाल #StopSaleAcid की संस्थापक भी है, जो एसिड हिंसा और एसिड की बिक्री के खिलाफ एक अभियान है। एसिड बिक्री के खिलाफ एक अभियान लक्ष्मी ने चलाया# स्टॉप एसिड अटैक के साथ इस अभियान की शुरुआत की जिसने राष्ट्रव्यापी व्यापक समर्थन मिला महिला और बाल विकास मंत्रालय पर जल और स्वच्छता मंत्रालय और उनके अभियान स्टाफ सेल एसिड के लिए यूनिसेफ से अंतर्राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण पुरस्कार 2019 में मिला 2020 में जीवन लक्ष्मी अग्रवाल पर आधारित फिल्म छपाक भी बनी लक्ष्मी को इस फर्स्ट लेडी मिशन ओबामा द्वारा 2024 का अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मान पुरस्कार मिल चुका है।
बॉडी शेमिंग को पीछे छोड़ कैसे बनीं मिस यूनिवर्स हरनाज संधू ,पढ़ें पूरी कहानी …
30साल की लक्ष्मी का कहना है कि 4 साल पहले ही मेरी लाइफ बिल्कुल परफेक्ट लग रही थी मैं Stop Acid Attack Campaign के फाउंडर आलोक दीक्षित के साथ लिविंग में रहने का फैसला किया हमें एक बेटी भी हुई लेकिन बेटी होने के बाद हम दोनों अलग हो गए और मैं बेटी की जिम्मेदारी ली एक एनजीओ में मैं ₹10000 महीने की सैलरी पर काम भी किया लेकिन 2017 में वह भी छोड़नी पड़ी । दीक्षित का कहना है कि मेरे पास पैसे नहीं है मेरे अकाउंट पर ₹5000 भी नहीं है ना ही कोई रेगुलर जॉब है करता । और मेरे पास जितने भी पैसे थे वह मेरी एनजीओ की तरफ से एसिड पीड़ितों के लिए खर्च हो गए लेकिन अब जब उनके ऊपर फिल्म बनी है तो माना जा रहा है उनकी जिंदगी बेहतर हो सकती है।