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नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा, जानें पूजा विधि,मंत्र

BBTV :मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने के लिए जानी जाती हैं, इसलिए इनका नाम कालरात्रि है. धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि मां कालरात्रि ने असुरों का वध करने के लिए ये रूप लिया था. ऐसी मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों को भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का डर नहीं सताता.

 

माता रानी का प्रिय भोग

माता कालरात्रि का पूजन रात के समय करना बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन शुंभ निशुंभ के साथ ही रक्तबीज का विनाश करने वाली देवी ने कालरात्रि का रूप धारण किया था. माता का मंत्र जाप करना बेहद शुभ होता हे. मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण है. आइए जानते हैं माता रानी का प्रिय भोग, मंत्र और आरती. इसके जाप से ही माता रानी प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं.

विध‍ि-व‍िधान से मां कालरात्रि की पूजा करे

मां कालरात्रि का स्वरूप उनके नाम की तरह की काला आक्रामक और भयभीत करने वाला है. कालरात्रि मां के तीन नेत्र हैं, जोकि ब्रह्मांड की तरह गोल हैं. मां कालरात्रि के हाथ में खड्ग और कांटा है. मां कालरात्रि की सवारी गर्धव यानि गधा है. उनका ऊपर उठा दाहिना हाथ वर मुद्रा में है, इस तरफ के नीचे वाले हाथ में अभय मुद्रा है. बाईं ओर ऊपर वाले हाथ में कांटा और नीचे वाले हाथ में खड्ग है. ऐसा कहा जाता है कि मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए ही ये रूप धारण किया था. ऐसा माना जाता है कि महा सप्‍तमी के दिन पूरे विध‍ि-व‍िधान से मां कालरात्रि की पूजा करने पर मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.

महासप्तमी के दिन मां कालरात्रि को गुड़ या गुड़ से बनी चीजें का भोग बेहद प्रिय होता है. इनमें गुड़ के चिल्ले से लेकर मालपुआ और पकोड़े शामिल हैं. इनका भोग लगाने से माता रानी प्रसन्न होती हैं. भक्तों पर अपनी कृपा करती हैं.

देवी का ध्यान करते हुए ये मंत्र भक्तों को पढ़ना चाहिए

ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता.

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी..

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा.

वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि .

 

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